बोलो प्रभु !बोलो ! तुम्हें आज बोलना होगा ,
कौन हूँ मै ? इस सवाल का जवाब देना होगा ।
मै औरत हूँ जगतजननी , शक्तिस्वरूपा अगर ,
क्योंकर बनाया मुझे भोग्या इस आदमी ने ?
मै इंसान हूँ एक जीती जागती ,ब्याँ करना होगा ।
मेरे सपने ,मेरे अरमान और मेरी खवाइशें ,
क्या कोई मायने रखते हैं तुम्हारे लिए ?
करते हो गर तुम स्वीकार तो इसे इस आदमी को भी
तुम्हें समझाना होगा ।
अहंकारी है जो , दंभी , वहशी , स्वार्थी ,कामुक पशु , दरिंदा ,
नहीं बर्दाश्त होता जिसे औरत का आगे बढ़ना ,
नहीं रास आती उसकी चहुंमुखी तरक्की ,
जान जलती है उसकी ,
पृरुष अहम को ठेस जो लगती है उसके ,
इसीलिए रोकना चाहता है मेरा मार्ग इस तरह से ।
ईर्ष्यावश !! कुंठित होकर ,
मुझे खिलौना समझकर , मुझे प्रताड़ित कर,
कभी घर में कैद कर और कभी मेरा मान -मर्दन कर ,
मेरा आत्म-सम्मान , मेरी जिंदगी और मेरी आबरू को
समाप्त कर क्या साबित करना चाहता है? ,
तुझे समझना होगा।
अगर मै हूँ तेरी सर्व श्रेष्ठ रचना ,
है मुझमें तेरा ही अंश ,आत्म तत्व ,
तो मेरे लिए , मात्र मेरे लिए ,बस एक बार! फिर !
धरती पर आना होगा ।
मेरे सवालों का जवाब देने हेतु तुझे एक बार तो सामने
आना ही होगा ।
आखिर कौन हूँ मै? अब तुम्हें इस पुरुष जगत को ,
अपनी विधि से , चाहे जैसे भी समझना होगा ।
मै नारी रूप में माँ, बहन, बीवी हूँ और बेटी भी ,
मैने हर रूप में अपना सारा जीवन दिया ,
इस पुरुष को सेवा दी, ममता दी, चाहत दी,
स्नेह दिया और अपना भोला मासूम बचपन भी ।
मगर इस कमजर्फ ,एहसान फरामोश आदमी ने मुझे क्या दिया ?
मुझे समझा केवल मांस का टुकड़ा !!
तुम क्यों अब तक इस घोर अन्याय ,अनाचार , पशुता पर भी
खामोश हो ?
बोलो प्रभु ! बोलो ! तुम्हें शीघ्र अति शीघ्र बोलना ही होगा ।
मेरे अस्तित्व पर मंडरा रहा है खतरा ,
तुम्हें मेरा सरंक्षण करना होगा।