गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

मै हूँ करोना .... ( कविता)

मै  हूँ करोना .... ( कविता)

मै हूँ क़ातिल करोना ,
मुझसे तुम डरो ना!
मेरी राहों में आकर ,
बे मौत भी मरो ना ।
खांसी,जुकाम,बुख़ार ,
उल्टी फिर निमोनियाँ ।
समझकर मामूली रोग ,
इन्हें नज़रअंदाज़ करो ना ।
ये रोग बनाते आसां मेरी राहें ,
इसीलिए अनदेखी करो ना ।
बहुत याराना निभा लिया ,
मगर अब परस्पर दूर रहो ना !
मै हूँ करोना,किसी को नहीं बख़्शता ,
कोई भी धर्म ,जाति ,लिंग या रंग ,
कोई प्रदेश, चाहे दुनिया का कोई भी कोना ।
गरीब -अमीर भी मेरे लिए समान है ,
मुझे मतलब है एक जिस्म से ,
जिसमें मुझे अपना वायरस है पहुंचाना ।
तो हो जाओ खबरदार ,मै किसी का सगा नहीं ,
मै हूँ बेहद खूँखार ,जानलेवा करोना ।



 


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