माँ तो ऐसी ही होती है ..... (माँ का बलिदान ) {कविता }
अपनी बगिया के फूलों को ,
रक्त से अपने सींचती है.
उनकी मुस्कराहट के लिए ,
अपने अश्क भी पी जाती है .
चैन से वोह सो सके ,
इसीलिए खुद रात भर जागती है.
उसके तन को ढकने हेतु ,
खुद चीथड़े में रहती है,
'' मुझे भूख नहीं है '' कहकर ,
अपने हिस्से क भोजन भी खिला देती है.
खुद संघर्ष की आग में जलेगी मगर ,
अपने फूलों पर आंच भी आने न देती है .
अपनी ममता भरी आँचल की छाया में छुपाकर ,
ज़माने भर के ग़मों से बचाए रखती है .
माँ के त्याग /बलिदान, प्रेम की कोई सीमा नहीं ,
ईश्वर के सामान जो महान होती है,
माँ है जिसका नाम , माँ तो ऐसी ही होती है.