मुझे मेरी आज़ादी लौटा दो ... (ग़ज़ल)
खुदाया ! मुझे मेरी आज़ादी लौटा दो ,
खुशनुमा मस्ती भरा आलम लौटा दो .
मुझे मेरी नींद और मेरा चैन ,लौटा दो .
थी अपनी मर्ज़ी जिंदगी कुछ शौक अपने ,
मुझे मेरी मनमर्ज़ीयां औ शौक लौटा दो .
पहले सिर्फ मैं ,मेरी कलम औ मेरे जज़्बात ,
मुझे मेरी शायरी की हसीं दुनिया लौटा दो.
कहाँ से आ गयी ये पहाड़ से जिम्मेदारियां/ फ़र्ज़ ,
मुझे मेरी बेपरवाहीयां और बेफिक्री लौटा दो.
हाय ! बड़ी अज़ीज़ थी मुझे मेरी तन्हाईयाँ ,
मुझे मेरी सबसे अज़ीज़ तन्हाईयाँ लौटा दो.
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