कौन नहीं मजदूर यहाँ !! ( गजल)
कौन नहीं मजदूर यहाँ ,बल्कि हर इंसा है मजदूर यहाँ ,
समाज के सभी नौकरी पेशा ,क्या मजदूर से कम यहाँ ?
हाँ ! यह अनपढ़ नहीं, गंवार नहीं ,उच्च शिक्षा प्राप्त हैं ,
मगर चैन -ओ- सुकूनऔर आराम इन्हें भी नसीब कहाँ !
यह बड़ी-बड़ी आला कंपनियों में कार्यरत नौकरी पेशा लोग,
एक खूबसूरत तनख़ाह के लालच पर चूस लिए जाते यहाँ ।
एक जानवर तक को तो मिलता है आराम ,मगर इन्हें कहाँ !
सुबह से शाम तक जो कोल्हू के बैल की तरह जुटे रहते जहां ।
मजदूरों पर आँसू बहाना बंद कीजिये,दीजिये थोड़ी तवज्जो ,
डॉक्टर्स ,पुलिस कर्मी , सफाई कर्मी और सिपाही भी है यहाँ ।
करोना के सिपाही के रूप में जो आम जनता की ढाल बने हैं ,
सिर पर कफन बांधे रहते,अपने जीवन की इन्हे परवाह कहाँ !
अपने वतन की हिफाज़त में जो सीमा पर डटा रहता है फौजी ,
ऐसी होंसले,बहादूरी औ वतन परस्तीकी मिसाल मिलेगी कहाँ ?
इन्हें नहीं मिलती सरकार की खास सुविधाये,एक वेतन बस !,
मगर फिर अपनी सारी जिंदगी को मिटा देते हैं यह वीर जवां ।
मजदूर तो वो चालक भी है जो बस ,ट्रक ,रेल आदि चलाते हैं,
देश की सेवा के लिए पहियों /स्टेरिंग पर गुजरती जिंदगी यहाँ ।
दिन के 24 घंटे जिनके काम में गुज़र जाते हैं बल्कि तमाम उम्र ,
परिवार का प्रेम ,खुशी ,सुख ,आनंद इन्हें कभी मिलता है कहाँ ।
मजदूर तो वह गृहणी भी है जो सुबह से शाम तक घर संभालती है,
अपने परिवार की सेवा में इसे कोई इतवार या वेतन मिलता हैं कहाँ ।
ज़रा सोचिए ,समझिये और दिल पर हाथ रखकर महसूस कीजिये।
अपने और अपने परिवार के गुज़र के लिए हर इंसान है मजदूर यहाँ ।