गुरुवार, 28 मई 2020

कौन नहीं मजदूर यहाँ !! ( गजल)

                                                कौन नहीं मजदूर यहाँ !! ( गजल) 

 

                   कौन नहीं मजदूर यहाँ ,बल्कि हर इंसा है मजदूर यहाँ ,
                  समाज के सभी नौकरी पेशा ,क्या मजदूर से कम यहाँ ?

                  हाँ ! यह अनपढ़ नहीं, गंवार नहीं ,उच्च शिक्षा प्राप्त हैं ,
                  मगर चैन -ओ- सुकूनऔर आराम इन्हें भी नसीब कहाँ !

                 यह बड़ी-बड़ी आला कंपनियों में कार्यरत नौकरी पेशा लोग, 
                 एक खूबसूरत तनख़ाह के लालच पर चूस लिए जाते यहाँ । 

                एक जानवर तक को तो मिलता है आराम ,मगर इन्हें कहाँ !
                सुबह से शाम तक जो कोल्हू के बैल की तरह जुटे रहते जहां ।

                 मजदूरों पर आँसू बहाना बंद कीजिये,दीजिये थोड़ी तवज्जो , 
                 डॉक्टर्स ,पुलिस कर्मी , सफाई कर्मी और सिपाही भी है यहाँ ।

                करोना के सिपाही के रूप में जो आम जनता की ढाल बने हैं ,
                सिर पर कफन बांधे रहते,अपने जीवन की इन्हे परवाह कहाँ !

                अपने वतन की हिफाज़त में जो सीमा पर डटा रहता है फौजी ,
                ऐसी होंसले,बहादूरी औ वतन परस्तीकी मिसाल  मिलेगी कहाँ ? 

                इन्हें नहीं मिलती सरकार की खास सुविधाये,एक वेतन बस !,
                मगर फिर अपनी सारी जिंदगी को मिटा  देते हैं यह वीर जवां ।

                मजदूर तो वो चालक भी है जो बस ,ट्रक ,रेल आदि चलाते हैं,
                देश की सेवा के लिए पहियों /स्टेरिंग पर गुजरती जिंदगी यहाँ ।

                दिन के 24 घंटे जिनके काम में गुज़र जाते हैं बल्कि तमाम उम्र ,
                परिवार का प्रेम ,खुशी ,सुख ,आनंद इन्हें  कभी मिलता है कहाँ ।

               मजदूर तो वह गृहणी भी है जो सुबह से शाम तक घर संभालती है,
               अपने परिवार की सेवा में इसे कोई इतवार या वेतन मिलता हैं कहाँ । 

               ज़रा सोचिए ,समझिये और दिल पर हाथ रखकर महसूस कीजिये। 
               अपने और अपने परिवार के गुज़र के लिए हर इंसान है मजदूर यहाँ ।