क्या हम मात्र वोट हैं ? (कविता)
क्या हम मात्र वोट हैं?
जीते -जागते इंसान नहीं,
प्रयोग करते हो बस हमारा ,
जैसे हमारी कोई पहचान नहीं
तुम हमें खरीद सकते हो ,
और बेच भी सकते हो तुम
वस्तु ही तो है हम तुम्हारे लिए ,
जो चाहे हमारा कर सकते हो तुम .
कहने को तो प्रजातंत्र हमने बनाया ,
और हमारे लिए है यह प्रजातंत्र .
मगर नोटों की राजनीती में भैया !,
प्रजातंत्र की आड़ में चलता है षड्यंत्र .
कैसा विकास और कहाँ का विकास !,
सब तुम्हारा ही बिछाया हुआ जाल है,
हमें गरीबी रेखा से ऊपर उठाओगे तुम !
तुम्हारी नामचीन योजनायें बस जंजाल है.
करते हो ५ साल के अनगिनित वायदे ,
और फिर सबकुछ भुला देते हो .
मतलब निकल जाने के बाद ,
तुम हमें कहाँ पहचान पाते हो ?
तुम्हारे घर और दफ्तर के चक्कर लगाते ,
हो जाते हैं हम बहुत परेशान .
मगर तुम्हें कहाँ है फुर्सत और परवाह ?
की सुन सको हमारी तकलीफों का बखान .
तुमने तो हमें समझा है कठपुतली ,
इसीलिए हमारी भावनाओं से खेलते हो तुम,
दिखाकर पहले बड़े-बड़े सपने ,
जगाकर नित नवीन आशाएं ,
फिर इन्हें अपने क़दमों तले रोंदते हो तुम ,
अपने वोट की खातिर तुम चाहे ,
जितना ईमान से गीर सकते हो .
भाषा, जाति ,धर्म और क्षेत्र के नाम पर ,
तुम हम जनता को परस्पर लडवा सकते हो,
तुम्हारे सफ़ेद कपड़ों की तह में ,
छुपी होती है तुम्हारी काली करतूतें .
सज्जनता का सिर्फ नकाब ओढे रहते हो ,
कोई कैसे जाने तुम्हारी असलियतें !
जानते है हम तुम्हारे दिल में खोट है.
हम है कमजोर और असहाय प्रजा ,
हम तो तुम्हारे लिए मात्र वोट हैं.
करते हो ५ साल के अनगिनित वायदे ,
और फिर सबकुछ भुला देते हो .
मतलब निकल जाने के बाद ,
तुम हमें कहाँ पहचान पाते हो ?
तुम्हारे घर और दफ्तर के चक्कर लगाते ,
हो जाते हैं हम बहुत परेशान .
मगर तुम्हें कहाँ है फुर्सत और परवाह ?
की सुन सको हमारी तकलीफों का बखान .
तुमने तो हमें समझा है कठपुतली ,
इसीलिए हमारी भावनाओं से खेलते हो तुम,
दिखाकर पहले बड़े-बड़े सपने ,
जगाकर नित नवीन आशाएं ,
फिर इन्हें अपने क़दमों तले रोंदते हो तुम ,
अपने वोट की खातिर तुम चाहे ,
जितना ईमान से गीर सकते हो .
भाषा, जाति ,धर्म और क्षेत्र के नाम पर ,
तुम हम जनता को परस्पर लडवा सकते हो,
तुम्हारे सफ़ेद कपड़ों की तह में ,
छुपी होती है तुम्हारी काली करतूतें .
सज्जनता का सिर्फ नकाब ओढे रहते हो ,
कोई कैसे जाने तुम्हारी असलियतें !
जानते है हम तुम्हारे दिल में खोट है.
हम है कमजोर और असहाय प्रजा ,
हम तो तुम्हारे लिए मात्र वोट हैं.