हे पिता ! आपको नमन !
स्वीकारें हमारे श्रद्धा -सुमन ,
जो किए हैं आपको अर्पण ।
आपके आशीष से फले-फुले,
आपके द्वारा ही खिलाया हुआ,
यह सुंदर और प्यारा उपवन ।
आपके दिये संस्कारों / शिक्षा से ,
सदा भरा रहे हमारा जीवन ।
पीड़ी दर पीड़ी ये जोत प्रेरणा की,
करे सदा हमारा मार्गदेशन ।
स्नेह ,प्रेम ,दया , सेवा -भावना ,
परोपकार आदि सद्गुणों से ,
चमकते रहे हमारे मन -दर्पण ।
भौतिक रूप से आप नहीं हो हमारे साथ ,
मगर अप्रत्यक्ष रूप से आत्मिक रूप से ,
हमारे ख़यालों /सपनों में करते हो विचरण ।
हम अकेले कहाँ है इस जगत में ,
आप हमारे हमेशा रहते हो अंग-संग ।
दुआ है यही आप जहां भी हो ,
सदा ईश्वर के सानिध्य में रहे,
और सदा अपना स्नेह और आशीष ,
यूं ही बरसाते रहें ।
बस यही अभिलाषा रखती है ,
आपसे आपकी संतान ।
अपनी आदर -सत्कार, प्रेम, श्रद्धा के
पुष्प सहित भावनाएं करती है अर्पण।