मंगलवार, 8 सितंबर 2020

हे पिता ! तुम्हें नमन ( कविता) श्राद्ध माह पर विशेष ' तर्पण '




 हे पिता ! आपको नमन ! 

स्वीकारें हमारे श्रद्धा -सुमन ,

जो किए हैं आपको अर्पण । 

आपके आशीष से फले-फुले,

आपके द्वारा ही खिलाया हुआ,

यह सुंदर और प्यारा उपवन ।

आपके दिये संस्कारों / शिक्षा से ,

सदा भरा रहे हमारा जीवन । 

पीड़ी दर पीड़ी ये जोत प्रेरणा की,

करे सदा हमारा मार्गदेशन । 

स्नेह ,प्रेम ,दया , सेवा -भावना ,

परोपकार आदि सद्गुणों से ,

चमकते रहे हमारे मन -दर्पण । 

भौतिक रूप से आप नहीं हो हमारे साथ ,

मगर अप्रत्यक्ष रूप से आत्मिक रूप से ,

हमारे ख़यालों /सपनों में करते हो विचरण । 

हम अकेले कहाँ है इस जगत में ,

आप हमारे हमेशा रहते हो अंग-संग । 

दुआ है यही आप जहां भी हो ,

सदा ईश्वर के सानिध्य में रहे,

और सदा अपना स्नेह और आशीष ,

यूं ही बरसाते रहें । 

बस यही अभिलाषा रखती है ,

आपसे आपकी संतान । 

अपनी आदर -सत्कार, प्रेम, श्रद्धा के 

पुष्प सहित भावनाएं करती है अर्पण।