सलीका (गज़ल)
शिकायत भी वो करें और इल्ज़ाम भी लगाए क्या -क्या ,
कोई पूछे उनसे उनकी मूहोबत का यही सलीका है क्या ?
कुछ कहें उनसे तो मुश्किल न कहें तो मुश्किल हाय !
कशमकश -ए -दिल ,ये नन्हा सा ,यह इंसाफ है क्या ?
न इकरार करते हैं न इंकार ही करते हैं जाने कैसे हैं वो ,
जानेमन कहें ,जाने जां कहे ,या फिर बेवफा कहें क्या ?
अभी हैं आपकी जिंदगी में ,कल हो न हो मालूम नहीं,
कद्र कर लो अभी वरना रुसवा हो गए तो सदाएं दोगे क्या ?
न पुकारो बहारों को तो लौट जाया करती है गुलिस्ताँ से ,
इशारा हमारा समझ लो ,इससे जाएदा हम कहें क्या ?
फिर न करना कोई गिला और न कोई शिकवा' अनु' से ,
ओढ़ लिया जब कफन ,फिर कुछ गुंजाइश बचती है क्या ?
शिकायत भी वो करें और इल्ज़ाम भी लगाए क्या -क्या ,
कोई पूछे उनसे उनकी मूहोबत का यही सलीका है क्या ?
कुछ कहें उनसे तो मुश्किल न कहें तो मुश्किल हाय !
कशमकश -ए -दिल ,ये नन्हा सा ,यह इंसाफ है क्या ?
न इकरार करते हैं न इंकार ही करते हैं जाने कैसे हैं वो ,
जानेमन कहें ,जाने जां कहे ,या फिर बेवफा कहें क्या ?
अभी हैं आपकी जिंदगी में ,कल हो न हो मालूम नहीं,
कद्र कर लो अभी वरना रुसवा हो गए तो सदाएं दोगे क्या ?
न पुकारो बहारों को तो लौट जाया करती है गुलिस्ताँ से ,
इशारा हमारा समझ लो ,इससे जाएदा हम कहें क्या ?
फिर न करना कोई गिला और न कोई शिकवा' अनु' से ,
ओढ़ लिया जब कफन ,फिर कुछ गुंजाइश बचती है क्या ?