गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

यह कैसा फास्ट ट्रैक कानून ? (कविता)

                                   यह कैसा फास्ट ट्रैक कानून ? (कविता)
   
       चींटी की चाल चलता ,
       यह कैसा फास्ट ट्रैक कानून ?
      इंसाफ के लिए भटकते हुए ,
      निकल जाए पीड़ितों की जान ।
      है यह इंसाफ पाने की वही लंबी प्रक्रिया ,
     मगर जाने क्यों नाम रखा ''फास्ट ट्रैक कानून''।

     निर्भया और प्रियंका जैसी कितनी  ही बेटियाँ ,
     हर रोज़ नोची जाती दरिंदों के हाथ इनकी बोटियाँ ,
     तड़प -तड़प के मारी जाएँ या ज़िंदा जला दी जाए ,
     अकर्मण्यता का प्रमाण है ''फास्ट ट्रैक कानून '' ।

     नारी के सम्मान और उसकी जान की परवाह नहीं,
     कुछ भी गुजरे इनपर,सरकार के लब पर आह नहीं,
     आश्वासन की चंद बुंदों से जनता के रोष को शांत कर ,
     पीला दें जबरन  घुट्टी रूपी 'फास्ट ट्रैक कानून'' ।

     कैसी अजीब रिवायत है इस देश की ,परेशान हूँ मै ,
     अपराधियों को शरण देने वाले कानून !तुझसे हैरान हूँ मै ,
     मृत्युदंड के जो अधिकारी ,उन्हें देते हो जीवन -दान ,
     यूं लगे !यह नारीहित के लिए नहीं ,दरिंदों के हित के लिए यह कानून ।

     अगर सरकार की नियत साफ है ,और थोड़ी बहुत ईमानदारी ,
     तो क्यों ना समझे नारी सम्मान /सरंक्षण को अपनी ज़िम्मेदारी ,
     चुन-चुन कर मारे कोढ़े और चढ़ाए फांसीपर इन हैवानो को ,
      बिना वक्त गँवाए सारे सबूत मिलते ही तुरंत करे जो  न्याय ,
      सही मायनों मेँ तभी माना जाएगा ''फास्ट ट्रैक कानून ''
      
     
     

     
    
    
    
       

    
     
    
     
       

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