क्या यह उचित है ? (कविता)
अपने घर में हो खजाना ,
और गैरों से मांगे भीख .
और गैरों से मांगे भीख .
क्या यह है उचित ?
लुट रखा है जिन्होंने सुख-चैन ,
उन्हीं से समझौते की उम्मीद .
क्या यह है उचित ?
हमारे युद्ध-विराम को जो सदा तोड़े ,
उन्ही से अमन की बात करना ,
क्या यह है उचित ?
स्वदेशी वस्तु एक आँख ना भाए,
और विदेशी वस्तुओं से प्रीत ,
क्या यह है उचित?
गौरव शाली संस्कृति,,सभ्यता का मान नहीं,
विदेशी रंग -ढ़ंग को अपनाना .,
क्या यह है उचित ?
निज राष्ट्र -भाषा हिंदी को त्याग कर ,
अंग्रेजी से दिल अपना लगना ,
क्या यह है उचित?
लम्बी गुलामी के बाद भी गुलामी ,
कहाँ ! कैसे हुए हम स्वतंत्र , ?
उस पर भी अलापें देशभक्ति का राग ,
क्या है यह उचित?
देश भक्त तब कहलायेंगे ना हम ,
जब रंगे होंगे हम पूर्णत : स्वदेशी रंग में
हाँ ! यही उचित है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें