कार का यशोगान ( हास्य- व्यंग्य रचना)
चंचला , चपला , रंग -रंगीली ,
द्रुत गति गामिनी कार ,
मात्र धनिक वर्ग ही नहीं ,
अब हर वर्ग कि चहेती कार।
वोह ज़माना गया जब ,
गऊ खड़ी होती थी द्वार ,
अब मुख्य द्वार कि शोभा बढ़ाये ,
चतुर्थ चक्र वाहिनी कार।
हसरत भरी निगाह से देखा करे ,
आते -जाते मुसाफिर ,
रोक कर अपने क़दमों को ,
अपने अनुमान लगाएं फिर।
कौन सा मॉडल है ? ,
किस कंपनी कि है भाई !
टाटा , मारुती , हौंडा ,
या फिर हुंडई।
क्या रंग है , क्या बनावट है ,
कितनी ज़बरदस्त है भई !
लाखों कि या करोड़ों कि ,
होती है यह मनमोहिनी ,
तभी तो अपने नाज़ उठवाती है ,
यह नाज़नीन गामिनी।
ठोक जाये गर इसे सड़क पर ,
तो मालिक का चढ़ जाता है पारा।
खुद लग जाये चोट मगर
इस पर खरोंच नहीं गवारा।
होती है यह मालिक कि जान ,
और सिर्फ जान ही नहीं,
यह है उसकी आन ,बान ,शान।
दौड़ती है जब सड़क पर ,
अपने पुरे वेग से ,
मुसाफिरों कि दिल भी ,
धड़कता है पुरे वेग से।
रास्ता छोड़ कर किनारे
हो जाते है मानिनी के लिए ,
कभी डर से ,कभी आदर से ,
इस अभिमानी के लिए।
क्योंकि पता है ,
यदि ना छोड़ा मार्ग तो ,
यह क्या करेगी।
हार्न बजा-बजा कर पागल ,
कर देगी ,वर्ना 'उड़ा' देगी।
उड़ाने को तो माहिर है ,
यह नटखट ,
फागुन से पहले ही होली खेले ,
यह कीचड़ कि ,लाज न इसे आये।
खुद गन्दी होकर खुद को तो
महंगे सर्फ़ से धुलवाए।
मगर हम कहाँ जाये !
इसके सितम के मारे ,
हम कपड़ों से दाग छुड़ा -छुड़ा के मर जाएँ।
सुना है हमने अपने बड़े -बूढ़ों से ,
वाहन का शौक है सदियों पुराना।
चौसंठ करोड़ देवी-देवताओं में ,
हर कोई था अपने -२ वाहन का दीवाना।
मगर अब जब देखते होंगे ,
इस भाग्य -शालिनी को ,
तो ज़रूर सोच रहे होंगे ,
यार कितने advance है यह मृत्युलोक वाले ,
इनके पास है सुंदर ,चम-चमाती चौपाया ,
और हमारे पास वही पुराने ,
मोटे भेंसे , शेर , चूहे , मोर , या बैल चौपाया।
यार ! हमें भी अब बदलना होगा ,
छोड़ो यह फैशन पुराना ,
और नए से नाता जोड़ो।
जायो सेवकों ,सिपाहियों ,
शीघ्र ही हमारे लिए ,
हौंडा सिटी बुक करवायो।
इस तरह मृत्यु लोक कि देखा-देखी ,
स्वर्ग लोक में भी आ गया इन्केलाब।
इस चंचल ,चतुर ,चपला ,
द्रुत गति गामिनी कि सब जय जय कार करो
जनाब !
वाहन का शौक है सदियों पुराना।
चौसंठ करोड़ देवी-देवताओं में ,
हर कोई था अपने -२ वाहन का दीवाना।
मगर अब जब देखते होंगे ,
इस भाग्य -शालिनी को ,
तो ज़रूर सोच रहे होंगे ,
यार कितने advance है यह मृत्युलोक वाले ,
इनके पास है सुंदर ,चम-चमाती चौपाया ,
और हमारे पास वही पुराने ,
मोटे भेंसे , शेर , चूहे , मोर , या बैल चौपाया।
यार ! हमें भी अब बदलना होगा ,
छोड़ो यह फैशन पुराना ,
और नए से नाता जोड़ो।
जायो सेवकों ,सिपाहियों ,
शीघ्र ही हमारे लिए ,
हौंडा सिटी बुक करवायो।
इस तरह मृत्यु लोक कि देखा-देखी ,
स्वर्ग लोक में भी आ गया इन्केलाब।
इस चंचल ,चतुर ,चपला ,
द्रुत गति गामिनी कि सब जय जय कार करो
जनाब !
यथार्थ सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंdhanywaad om ji !
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