सुनी है जो उनके आने की आहट हमने ,
अपना सारा होशो-हवास गंवाया हमने।
पहले भी सजग थे साफ सफाई को लेकर ,
और अब नया वहम का रोग लगाया हमने।
अपनों से गले लगना,हाथ मिलाना हुआ बंद ,
और अब दूर से सलाम का चलन बनाया हमने ।
अपने ही घर जबसे नज़रबंद होकर रह गए हम ,
इस तरह देखिये खुद को ही कैदी बनाया हमने ।
हमें तो अपना पालतू सर्दी-जुकाम भी दुश्मन लगे ,
कोरोना के डर से अपना बदहाल बनाया हमने ।
अब तो ये आलम है की हर शय वायरस ही दिखे ,
ऐसे दीवाने हम न थे ,खुद को दीवाना बनाया हमने ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें