शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

करोना का खौफ (गजल)

 

सुनी है जो उनके आने की आहट हमने ,

अपना सारा होशो-हवास गंवाया हमने।

पहले भी सजग थे साफ सफाई को लेकर ,

और अब नया वहम का रोग लगाया हमने।

अपनों से गले लगना,हाथ मिलाना हुआ बंद ,

और अब दूर से सलाम का चलन बनाया हमने ।

अपने ही घर जबसे नज़रबंद होकर रह गए हम ,

इस तरह देखिये खुद को ही कैदी बनाया हमने ।

हमें तो अपना पालतू सर्दी-जुकाम भी दुश्मन लगे ,

कोरोना के डर से अपना बदहाल बनाया हमने ।

अब तो ये आलम है की हर शय वायरस ही दिखे ,

ऐसे दीवाने हम न थे ,खुद को दीवाना बनाया हमने ।

 

 

 

 


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