रविवार, 30 जनवरी 2022

चंद्र चमकता रहेगा

 


हों आसमान में चाहे कितने भी बादल ,
सूरज को चमकना है तो चमक कर रहेगा।
माना के अमावस की रात है और ग्रहण भी छाया,
मगर चंद्र को निकालना है निकलकर ही रहेगा।
गुमनामी की सतह पर धरती की कोई दबा दे चाहे ,
वोह अंकुर घना वृक्ष बनकर जरूर उबरेगा ।
वोह सूरज जो अब भी अपनी रोशनी लुटाता है ,
यह रोशनी नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा ।
वोह जो चंद्र जग में शीतलता बरसात है ,
अपनी शीतलता को इनके संस्कारों में भरता रहेगा।
और वोह घना फलदार बड़ा वृक्ष ,
उसके ज्ञान ,देशभक्ति , सेवा ,त्याग और कई ,
मानवीय मूल्य युवा वर्ग को प्रदान करता रहेगा ।
अमर शहीद नेता जी सुभाष चंद्र बोस का बलिदान ,
और योगदान सदा देश याद करता है और करता रहेगा ।


नेताजी की दृष्टि में नारी शक्ति

 बालिका दिवस और नेता जी सुभाष चंद बोस,

की जन्मशती का बना अभूतपूर्व संयोग ।
नेता जी ने नारी जाति को सदैव उसकी शक्ति , सामर्थ्य से परिचित होकर अपनी सेना में किया योग।
उनको स्वालंबन और स्वाभिमान से जीना सिखाया,
आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजीमेंट बनाकर ,
दूर किया उनके भीतर का भय का भयानक रोग।
देश सेवा और देशभक्ति किसी की जागीर नहीं ,
है यह सुन्दर और शाश्वत भावना का संयोग।
जो नारी में भी हो सकती है अपितु जायदा ही ।
इसीलिए देश को फिरंगियों से आजाद करवाने हेतु ,
पुरुष समान बलिदान देने में नारी का भी था समान योग ।
अतः रानी झांसी की वीरता और देशभक्ति से परिचित,
होकर उन्होंने महिला रेजीमेंट को उनका नाम दिया ।
और देश को फिरंगी मुक्त बनाने हेतु महिलाओं ,
बालिकाओं और युवतियों का लिया सहयोग ।






भगवान बनना आसान नहीं।

 जाने कैसे लोग खुद को मानते है भगवान ,

वोह इस हकीकत से है बिलकुल अनजान ।

भक्त की एक पुकार पर उपस्थित होता है वोह,
तुम तो इतराने लगते हो आ जाता है अभिमान।

राम बनकर वनवास व् कृष्ण बनकर लांछन सहे,
तुम क्या जानो कितना कठिन था उनका जीवन ।

तुम पर पड़े ऐसी विपदा तो क्या झेल सकोगे ?
सदा सुख ऐश्वर्य में गुजरता है तुम्हारा प्रतिक्षण।

सती नारी थी सीता फिर भी उसे त्यागना पड़ा ,
परंतु स्वयं संन्यासी सा किया उन्होंने जीवन यापन।

धर्म और सत्य की रक्षा हेतु महाभारत होना ही था,
मगर दो परिवारों में युद्ध करवाने का मिला लांछन ।

निर्दोष होकर भी गांधारी के श्राप को मुस्कुराकर ,
कृष्ण झेल गए न किया कोई प्रतिउत्तर में आक्षेपण।

तुम होते तो क्रोधित हो कर अपना आवेश खो देते ,
तत्क्षण ही घायल हो जाता तुम्हारा प्यारा अभिमान।

दया और करुणा की मूर्ति उन्हें यूं ही नहीं कहते ,
जग को जीवन देने के लिए किया उन्होंने विषपान ।

इतनी अधिक त्याग ,सहनशीलता और संयम था ,
उस पर उज्ज्वल और पवित्र चरित्र थे गुणों की खान।


कर्म योग ,धर्म की रक्षा से पाया भाग्य उन्होंने महान ,
तभी तो वोह कहलाए भगवान और तुम हो सिर्फ एक
साधारण , तुच्छ इंसान ।















राष्ट्रीय पुरस्कारों का सम्मान

 राष्ट्रीय पुरस्कार जबसे बन गए ,

रेवड़ियों सा बंटने वाला प्रसाद ।
असली उम्मीदवारों तक तो पहुंचे नहीं,
गलत हाथों में चला जाए तो ,
उत्पन्न होता ह्रदय में विषाद ।
बंदर को ज्यों माणिक मिले,
तो वो उठाकर इधर उधर फेंक दे।
उसी प्रकार पुरस्कार वापसी का,
घृणित कार्य तथाकथित मशहूर हस्तियां कर दें।
क्या मोल रह जाता है इन माणिक ,
जैसे अनमोल राष्ट्र के सर्वोच्च पुरस्कारों का ?
हीरे की कीमत ज्यों जोहरी ही जान सकता है,
उसी प्रकार इनका असली हकदार ही ,
इनकी कीमत पहचान सकता है ।
यह जान लीजिए जिसे राष्ट्र की कद्र होगी ,
वोह राष्ट्र प्रेमी ही राष्ट्रीय पुरस्कारों का सम्मान करेगा ।
अतः प्रशासन को चाहिए की कुछ तो ,
इनका सम्मान रखे ।
रेवड़ियों की तरह अभिमानियों ,देशद्रोहियों ,
चरित्रहीन लोगों में न बांटा करे ।






भारतीय फिल्म जगत कहां है ?

 


जब तक था यह भारतीय फिल्म जगत,
पूर्ण स्वदेशी और प्यारा सा लघु भारत ।

देशभक्ति भावना परिपूर्ण की गंगा बहती ,
और सर्वधर्म समभाव / मनुष्यता से युक्त ।

समाज सुधार की निर्मल भावना व् उद्देश्य ,
फिल्म निर्माण एवं गीत संगीत में निहित ।

मधुरता एवं पवित्रता का सुन्दर संयोजन,
देश तो क्या दीवाना होता था सारा जगत ।

जन्म दाता थे इसके महान दादा फालके जी ,
बड़े कठिन परिश्रम से किया था इसे स्थापित ।

मगर अब यह वो फिल्म जगत नही रहा ,
देखकर उनकी आत्मा होती होगी आहत ।

क्योंकि अब यह बन गया बॉलीवुड नापाक,
गुंडागर्दी ,गैंगस्टर ,कातिलों से भरा पंक।

देशद्रोह ,अश्लीलता ,हिंसा ,गाली गलोच ,
और भी अनेक जघन्य अपराधों का जनक।

देश और समाज को बर्बाद कर रहा है इसका ,
अमानुषिक ,अमानवीय कर्म अति घृणित।

भारतीय संस्कृति और सभ्यता का उपहास करे ,
हमारे अतिपूजनीय गुरुजन,देशभक्तों ,देव पुरुषों ,
को करते यह अपमानित ।

हमारे देश के नाम कलंक ये पूर्ण नाश न कर दे ,
मानवता और सर्व धर्म समभाव करो आरक्षित ।

इस बॉलीवुड को करो पुनः राष्ट्रीय करण तुरंत ,
बनाने को सुन्दर भारतीय फिल्म जगत ।