तलाश ( गजल)
मेरी जिंदगी की हर तलाश अधूरी रह गयी ,
जो ख्वाब देखे उनकी ताबीर अधूरी रह गयी।
लोग कहते है ढुढ्ने पर खुदा भी मिल जाता है ,
ख़ुदा क्या मिलेगा जब उसकी राह ही खो गयी ।
मैं तो उन अरमानों को रोयूं ,जो पूरे न हो सके ,
अपनी तो आंसुओं में सारी जिस्त घुल गयी ।
छोटी सी मामूली चीज़ तो ढुढ्ने से मिलती नहीं,
ऐसे में मंज़िल को खोजूँ जो जाने कहाँ खो गयी !
जिंदगी में जाने कितनी कीमती चीज़ें मैने खोयी ,
जिनकी यादें मेरे ज़हन में बस कैद होकर रह गयी ।
खुशी ,सुख ,आनंद,शांति और मन का चैन खोया ,
एक बेचैनी ,तड़प और कशमकश बाक़ी रह गयी ।
अब भी तलाश है मुझे उसकी,जिसे जिंदगी कहते हैं,
जिसे पाने को कई बार ठोकर खाकर मैं गिर गयी ।
कोई हमदर्द भी न मिला किसे हाल -ऐ- दिल कहूँ ? ,
तलाश -ए-हमराज़ / हमराह भी अधूरी रह गयी ।
अब तो बेशुमार दर्द -ओ -गम ही संभाले बैठी हूँ मैं ,
इंतेहा जिनकी इस छोटे से दिल में कोई न रह गयी।
'अनु'के जज़्बातों की किताब भी बंद ही रही तमाम उम्र ,
कौन समझता ?जो दुनिया के लिए पहेली ही रह गयी।
मेरी जिंदगी की हर तलाश अधूरी रह गयी ,
जो ख्वाब देखे उनकी ताबीर अधूरी रह गयी।
लोग कहते है ढुढ्ने पर खुदा भी मिल जाता है ,
ख़ुदा क्या मिलेगा जब उसकी राह ही खो गयी ।
मैं तो उन अरमानों को रोयूं ,जो पूरे न हो सके ,
अपनी तो आंसुओं में सारी जिस्त घुल गयी ।
छोटी सी मामूली चीज़ तो ढुढ्ने से मिलती नहीं,
ऐसे में मंज़िल को खोजूँ जो जाने कहाँ खो गयी !
जिंदगी में जाने कितनी कीमती चीज़ें मैने खोयी ,
जिनकी यादें मेरे ज़हन में बस कैद होकर रह गयी ।
खुशी ,सुख ,आनंद,शांति और मन का चैन खोया ,
एक बेचैनी ,तड़प और कशमकश बाक़ी रह गयी ।
अब भी तलाश है मुझे उसकी,जिसे जिंदगी कहते हैं,
जिसे पाने को कई बार ठोकर खाकर मैं गिर गयी ।
कोई हमदर्द भी न मिला किसे हाल -ऐ- दिल कहूँ ? ,
तलाश -ए-हमराज़ / हमराह भी अधूरी रह गयी ।
अब तो बेशुमार दर्द -ओ -गम ही संभाले बैठी हूँ मैं ,
इंतेहा जिनकी इस छोटे से दिल में कोई न रह गयी।
'अनु'के जज़्बातों की किताब भी बंद ही रही तमाम उम्र ,
कौन समझता ?जो दुनिया के लिए पहेली ही रह गयी।