वाह ताज ! (कविता)
भारत की आन ,
मुहोबत की शान ,
इतिहास की धरोहर ,
संस्कृतियों का सरोवर ,
सभ्यता की पहचान है यह ताज।
कुदरत का करिश्मा,
कायनात का नगमा ,
अमरता का वरदान है यह ताज .
पवित्रता का द्योतक ,
शुद्धता का स्त्रोतक ,
सौन्दर्य का प्रतिमान है यह ताज .
अनगिनित मजदूरों के ,
बुध्हिजीवियों व् पारखियों के
अथक परिश्रम का फल है यह ताज .
अंत में हम ,
ह्रदय से नमन ,
करते है तुझे ऐ ताज !
जब तक रहे यह जहाँन ,
तेरी अमर रहे दास्ताँ ,
हर दिल पुकारता रहे ,वाह ताज! वाह ताज !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें