जाग दामिनी जाग !
जाग दामिनी जाग !
अपने आत्मबल से .
तेरे साथ जागी है आज ,
हर बेटी भारत की ,
अपने आत्मविश्वास से .
माएँ , बहने , बहुएं और बच्चियां .
पुकार रही हैं बड़ी आस से।
कह रही हैं तुझे ,की आ !
हमें लड़ना है ,
इस पुरुष समाज से ,
इस सत्ता से ,
अपने आत्म-सम्मान के लिए .
जूझना होगा ,
अपने अस्तित्व के लिए ,
अस्मिता और सतीत्व के लिए।
तुम्हें अपने नाम सार्थक करना होगा ,
हिसाब मांगना होगा हर दर्द का इनसे।
अब बर्दाश्त नहीं करेंगे हम ,
तू अगर साथ दे तो तुफानो से टकरायेंगे ,
किसी से नहीं डरेंगे हम .
हम हैं नारी तो क्या !
कोमल है मगर कमज़ोर नहीं हैं।
हम सरस्वती हैं और लक्ष्मी भी ,
मगर हम महाकाली और दुर्गा भी हैं।
नहीं जियेंगे अब घुट -घुट के ,
उठ ! के तुझे उठाना होगा।
मत रो यूँ मुंह अपना छुपा के ,
तुम्हें अंधेरों से उबरना होगा।
शर्म सार होए वोह ,हम क्यों ?
खून के आंसू रोयेंगे अब वोह ,हम क्यों ?
जीवन अब उनका बर्बाद होगा ,
अपना जीवन हारकर, मौत को गले लगाये तू क्यों?
अब आ गया है वक़्त ,
अपने उपर होरहे हर अन्याय का,
अत्याचार और बलात्कार का,
मुंह तोड़ जवाद देना होगा।
हम हैं शक्ति -स्वरूपा ,
हमें ही इन रावणों का संहार करना होगा।
हम हैं नारी ,मगर भोग्य नहीं .
हम हैं इंसान ,कोई खिलौना नहीं।
हम हैं पुरुषों से सबसे श्रेष्ठ ,
यह एहसास उन्हें करना होगा।
हमने जलाई है इसीलिए अब आन्दोलन की मशाल .
चल पढ़ी हैं हम भारत की नारियां आत्म रक्षा , स्वाभिमान ,
आत्म निर्भरता और स्वतंत्रता कि राह पर .
तुम्हें भी दामिनी ! हमारे साथ चलना होगा।
जाग दामिनी जाग !
कितुम्हें अब जागना होगा।
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