मुझे जीना सीखा दो ज़रा ( ग़ज़ल)
1, मैने कभी नहीं देखा ख़ुशी का चेहरा ,
कैसा होता है मुझे दिखा तो दो ज़रा।
2, तेरी महफ़िल में सुनो ऐ मेरे साकी !
है गर मसर्रत-ऐ-जाम तो पिला दो ज़रा .
3, जिंदगी क्या होती है? मुझे नहीं पता,
मायने इसके मुझे भी समझा दो ज़रा।
4, उम्र तो ख़त्म हुई ,ना ख़त्म हुए इम्तिहान ,
कहाँ तक जायेगा यह कारवां ? बता दो ज़रा।
5, यह तमन्ना-ऐ-दिल औ बेशुमार गम ,हाय !,
पूछना चाहती हूँ '' क्यों''? खुदा से ही मिला दो ज़रा .
1, मैने कभी नहीं देखा ख़ुशी का चेहरा ,
कैसा होता है मुझे दिखा तो दो ज़रा।
2, तेरी महफ़िल में सुनो ऐ मेरे साकी !
है गर मसर्रत-ऐ-जाम तो पिला दो ज़रा .
3, जिंदगी क्या होती है? मुझे नहीं पता,
मायने इसके मुझे भी समझा दो ज़रा।
4, उम्र तो ख़त्म हुई ,ना ख़त्म हुए इम्तिहान ,
कहाँ तक जायेगा यह कारवां ? बता दो ज़रा।
5, यह तमन्ना-ऐ-दिल औ बेशुमार गम ,हाय !,
पूछना चाहती हूँ '' क्यों''? खुदा से ही मिला दो ज़रा .
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