ये प्रतियोगिताओं का कैसा रिवाज चल रहा है ,
जो इनामात का लालच देकर लोगों को छलता है।
व्यवसायिक चैनलों में कभी संगीत तो कभी नृत्य ,
बड़ी आकर्षक सजावट लिए मंच लोगो को लुभाता है।
अति लोकप्रिय कला शिरोमणि न्यायधीश के रूप में,
कुछ दिग्गज कलाकारों को न्योता दिया जाता है।
प्रतियोगियों की कला को मंत्रमुग्ध हो देख सुन कर ,
फिर उनके भाग्य का फैंसला किया जाता है।
दूध में से मलाई की तरह हर प्रतियोगी को छांट कर ,
शेष को पानी समझकर बाहर फेंक दिया जाता है ।
जो जीत गए वो तो भाग्य पर अपने नाज़ करते है ,
मगर जो हार गया वो आंसुओं से दामन भिगोता है।
कितना दुखदाई होता है अस्वीकृति का वो लम्हा ,
यह तो उसे ही पता होता है जो अपमान सहता है।
ऐसा ही मापदंड हर प्रतियोगिताओं का होता है,
साहित्य हो या शिक्षा,खेल संबंधी सबमें चलता है।
भाग्य आजमाने कई प्रतियोगी इसमें भाग लेते है ,
अपनी तरफ से हर कोई जी तोड़कर मेहनत करता है ।
कहने भर को लोग कह देते है यह तो खेल है भाई !
हार और जीत तो जीवन में सदा चलता ही रहता है।
मगर भरोसा कैसे करें इन निर्णायको की नियत का ,
भेदभाव और कपट इनकी फितरत में शामिल होता है।
बेहतर होगा इन प्रतियोगिताओं से दूर रहा जाए,
प्रतियोगियों की कला को मंत्रमुग्ध हो देख सुन कर ,
फिर उनके भाग्य का फैंसला किया जाता है।
दूध में से मलाई की तरह हर प्रतियोगी को छांट कर ,
शेष को पानी समझकर बाहर फेंक दिया जाता है ।
जो जीत गए वो तो भाग्य पर अपने नाज़ करते है ,
मगर जो हार गया वो आंसुओं से दामन भिगोता है।
कितना दुखदाई होता है अस्वीकृति का वो लम्हा ,
यह तो उसे ही पता होता है जो अपमान सहता है।
ऐसा ही मापदंड हर प्रतियोगिताओं का होता है,
साहित्य हो या शिक्षा,खेल संबंधी सबमें चलता है।
भाग्य आजमाने कई प्रतियोगी इसमें भाग लेते है ,
अपनी तरफ से हर कोई जी तोड़कर मेहनत करता है ।
कहने भर को लोग कह देते है यह तो खेल है भाई !
हार और जीत तो जीवन में सदा चलता ही रहता है।
मगर भरोसा कैसे करें इन निर्णायको की नियत का ,
भेदभाव और कपट इनकी फितरत में शामिल होता है।
बेहतर होगा इन प्रतियोगिताओं से दूर रहा जाए,
इनामात के मोह जाल से भी दूर रहा जाए,
ये ख्वाबों को पूरा करने के एवज में तुम्हारा आत्म
विश्वास और साहस आपसे छीन लेता है।
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