कुछ सवाल खुद से ........ कविता
पूछते हैं सवाल अक्सर अपने देश से अनगिनित ,
चलो आज कुछ सवाल खुद से ही पूछ लें .
है अपना देश प्रजातंत्र पर आधारित यह माना ,
जनता का ,जनता के द्वारा और जनता ही के लिए ,
क्या भूमिका है हमारी इसके निमित्त जान लें .
हम अपने अधिकारों को तो भली-भांति जानते हैं,
मगर अपने कर्तव्यों से क्यों हो रहे हैं विमुख .
उसे इलज़ाम लगाने से पूर्व ज़रा खुद को परख लें .
कोई ना कोई मुद्दा उठाकर , हंगामें करते हैं ,
कैसे बुद्धिजीवी है समस्याओं का अम्बार लगते हैं ,
कैसी मानसिकता है हमारी ,खुद को ज़रा टटोलें ?
काश हम सुशील ,शांति-प्रिये व् सज्जन होते ,
देश की समस्याओं को पहाड़ ना बनने देते .
मगर हम कहाँ के जागरूक नागरिक समझ लें.
देश ने हमें एकता की डोर से बांध रखा है ,
हर तरह के अधिकारों / स्वतंत्रताओं से नवाज़ा है,
फिर क्यों अपने अधिकारों /आज़ादी का दुष्प्रयोग करे .
देश में शांति ,सोहाद्र व् एकता को बनाये रखना ,
इसे आपदाओं /समस्यायों से इसे विमुक्त करना ,
हाँ और भी कई कर्तव्य हैं हमारे , आज समझ ले.
देश की उन्नति और विकास में योगदान कर ,
राष्ट्रिय संपत्ति ,प्राक्रतिक संपदाओं का रक्षण कर ,
चलो हम अपना जीवन इस पर समर्पित कर ले.
हम मित्रों सच्चे देश भक्त तभी कहलायेंगे ,
जब उपरोक्त सवाल ईमानदारी से खुद से पूछेंगे ,
आओ हम अपना आत्म-अवलोकन कर लें.
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