मंगलवार, 25 मार्च 2025

भयावह कलयुग

 



कैसा है भयावह कलयुग ,

हमें न रास आया यह युग ।

दुशासनों के मध्य लाचार नारी ,

उस पर यह विपदा अति भारी।

धृतराष्ट्र बनी अंधी सरकार ,

अपितु गूंगी और बहरी सरकार ।

यूं तो करे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का प्रचार,

मगर बेटियों की लाज बचाने को है लाचार ।

न्याय व्यवस्था और कानून को क्या कहें ?

अपराधी सभी गुनाह करके भी  सुरक्षित रहें ।

मान्यवर! बड़ी अनोखी इनकी  न्याय नीति  है,

पीड़ितों के प्रति नहीं अपितु शैतानों के प्रति सहानुभूति है।

अजी छोड़िए भी ,यह क्या न्याय करेंगे !

 मानवता नहीं जिनके भीतर ,वो इंसाफ करेंगे !!

महसूस होता है इनके घर शायद कोई नारी नहीं ,

या फिर इनकी फितरत में ईमान ही नहीं।

अपने घर की नारियां तो है न सुरक्षित ,

देश की नारियों से इनका क्या मतलब !

यह तो लालची है धन दौलत के ,

फ़र्ज़ और ईमान से इनका क्या मतलब !

बेचारी मेरे भारत की नारियां ,मेरी बहने ,बेटियां !

या तो तुम सब शेरनियां ,दुर्गा या काली बन जाओ,

अन्यथा द्रौपदी की तरह अपनी भक्ति में इतनी शक्ति लाओ,

के मुरली मनोहर कृष्ण को पुकार लाओ।

अब वहीं है सर्व शक्ति मान ,तेजस्वी भगवान ,

जो बचा सकते है तुम्हारे शत्रुओं से जीवन और मान सम्मान ।






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