होश में आ ..! (कविता)
( नशे के गुलाम युवाओं के लिए )
ऐ नौजवान! जीवन बार -बार नहीं मिलता ,
यह मनुष्य -जन्म भी बार-बार नहीं मिलता .
खो दिया जाए गर बेशकीमती हीरे सा जीवन,
तो लाख चौरासी योनियों के बाद ही है मिलता .
फिर क्यों तू इसे नशे में बर्बाद कर रहा...
खो दिया जाए गर बेशकीमती हीरे सा जीवन,
तो लाख चौरासी योनियों के बाद ही है मिलता .
फिर क्यों तू इसे नशे में बर्बाद कर रहा...
तू देश का कर्णधार है भविष्य है तू इसका,
नाव है गर यह और तो तू माझी है इसका ,
कुछ फ़र्ज़ है तेरे इसके प्रति और जिम्मेवारी ,
एक ज़िम्मेदार नागरिक है तू इसका .
तू तो अपने देश के फ़र्ज़ भी भूल रहा...
अपने माता-पिता की और गौर से देख,
देख सकता है तो तू इनकी आँखों में देख ,
तुझे जन्म दिया ,पालन -पोषण किया ,
देखे थे जो सपने तेरे लिए ,उनके टुकड़े देख.
इनके प्रति अपना उत्तरदायित्व है तू भूल रहा ...
यूँ नशे का गुलाम मत बन ,कर्मयोगी बन,
देश के विकास में तू इसका सहयोगी बन,
करके सद्कर्म, सद्चरित्र और संस्कारी हो ,
और माता-पिता के चरणों का अनुरागी बन.
नयी सदी का चदता सूरज तुझे निहार रहा ...
नशे की लत ने ना कभी किसी का भला किया है,
इसने तो मुल्कों / घरो को सदा बर्बाद किया है.
डस लीया इसने कई माता- पिता की संताने को ,
जो भी इस ज़हरीले नाग की गिरफ्त में आया है.
देख यह तेरा जीवन भी यह बेदर्दी से मिटा रहा ,,,,
नशे में डूबेरहने से कभी कोईगम गलत नहीं होता.
इसके दुस्वप्न से कभी किसी का भला नहीं होता,
इंसान है तो डट कर हालातों का सामना कर,
हकीक़त से मुँह मोड़ने से भी कभी वोह नहीं छुपता .
यह जाता हुआ वक्त तुझे ललकार रहा ...
जाने क्यों यह भूल गया तू ओ भटके हुए नौजवान!,
जिस धरती पर तूने जन्म लिया उसका एहसां मान,
यह है कई महान गुरुओं ,संतो व् वीरों की धरती ,
जिन्होंने इस पर अपना तन-मन -धन किया कुर्बान .
गौर से सुन इन महापुरुषों लहू तुझे पुकार रहा..
नाव है गर यह और तो तू माझी है इसका ,
कुछ फ़र्ज़ है तेरे इसके प्रति और जिम्मेवारी ,
एक ज़िम्मेदार नागरिक है तू इसका .
तू तो अपने देश के फ़र्ज़ भी भूल रहा...
अपने माता-पिता की और गौर से देख,
देख सकता है तो तू इनकी आँखों में देख ,
तुझे जन्म दिया ,पालन -पोषण किया ,
देखे थे जो सपने तेरे लिए ,उनके टुकड़े देख.
इनके प्रति अपना उत्तरदायित्व है तू भूल रहा ...
यूँ नशे का गुलाम मत बन ,कर्मयोगी बन,
देश के विकास में तू इसका सहयोगी बन,
करके सद्कर्म, सद्चरित्र और संस्कारी हो ,
और माता-पिता के चरणों का अनुरागी बन.
नयी सदी का चदता सूरज तुझे निहार रहा ...
नशे की लत ने ना कभी किसी का भला किया है,
इसने तो मुल्कों / घरो को सदा बर्बाद किया है.
डस लीया इसने कई माता- पिता की संताने को ,
जो भी इस ज़हरीले नाग की गिरफ्त में आया है.
देख यह तेरा जीवन भी यह बेदर्दी से मिटा रहा ,,,,
नशे में डूबेरहने से कभी कोईगम गलत नहीं होता.
इसके दुस्वप्न से कभी किसी का भला नहीं होता,
इंसान है तो डट कर हालातों का सामना कर,
हकीक़त से मुँह मोड़ने से भी कभी वोह नहीं छुपता .
यह जाता हुआ वक्त तुझे ललकार रहा ...
जाने क्यों यह भूल गया तू ओ भटके हुए नौजवान!,
जिस धरती पर तूने जन्म लिया उसका एहसां मान,
यह है कई महान गुरुओं ,संतो व् वीरों की धरती ,
जिन्होंने इस पर अपना तन-मन -धन किया कुर्बान .
गौर से सुन इन महापुरुषों लहू तुझे पुकार रहा..
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