ऐ वतन !
तेरे हाथों की लकीरों से बदनसीबी को मिटा देंगें, देकर अपना लहू तेरी तकदीर हम संवार देंगे ।लगा है जो दाग तेरी पेशानी पर उसे भी हम , उस दाग को भी जड़ से हम मिटा देंगे।
तेरी आँखों से बहते इन आंसुओं की कसम , अब न तुझे रोने देंगे ,तेरे सारे आंसू हम पी लेंगें ,
तेरा हुस्न औ जवानी ना लौटा दे जब तक तुझे, हम तब तक चैन से दम भी ना ले सकेंगे।घात लगाकर जो बैठे है दुश्मन घेर के खड़े, ऐसे दुश्मनों को हम नाकों चने चबवाएंगे ।चाहे हम किसी भी जाति.धर्म और प्रांत केवासी ,हम एक थे , हम एक हैं और हम एक रहेंगे।
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