गुरुवार, 4 अगस्त 2016
सब्र की इन्तेहा (ग़ज़ल )
हैवानियत की हदें पार कर चूका है जहान,
मौत के साये में हुई हर जीस्त खौफज़दा,
ईमान तो गुम हो गया गुनाहों के अंधेरों में,
खून के रिश्ते या दिलों के रिश्ते क्या हैं ?,
हवाएं हैं ज़हरीली, शोला बरसाए आसमाँ भी,
हम परेशां हाल करते हैं इंतज़ार कयामत का,
लेबल:
एहसास,
एहसास एक कवि का .,
DARD
स्थान:
Faridabad, Haryana, India
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