बुद्धू बक्सा और हम ( हास्य-कविता)
कहा तो जाता है इसे बुद्धू बक्सा ,
मगर वास्तव में तो यह बड़ा सयाना है ,
अपना मायाजाल फैला कर ,
हमें किया इसने दीवाना है।
समझते हैं हम जो है इसमें दिखता ,
सब झूठ है ,नाटक है ,
पर मालूम नहीं ,ओन करते ही इसे ,
बंद हो जाता बुद्धि का फाटक है.
खुद की समस्याएँ कोई कम है !
जो सिमर और रोली की समस्याओं में
उलझे रहते हैं।
खुद के दुश्मनों का पता नहीं ,
क्या चालें चलते रहते हैं ,
और हम आर के और मधु के
दुश्मनों को गालियाँ निकालते हैं ,
और यहाँ तक के भगवान् से प्राथना करते हैं।
''हे भगवान् ! किसी भी कीमत पर इनकी जोड़ी ना टूटे।
जगया ने की गंगा से शादी ,
तो आनंदी की बड़ी परेशानी ,
तो हमारी भी आँखों की नींद उड़ गयी।
मधु के भविष्य के बारे में की
आर के की पाबो के गुरु जी ने की।
भविष्यवाणी
तो भी हमारी नींद उड़ गयी।
जाने कितने ही बार हमने
अपनी नींदे खराब की ,
कभी साची तो ,कभी प्रिया,
कभी इच्छा तो कभी तपस्या ,
अनगिनित हैं यह बुद्धू -बक्से के चेनल्स और उनके कैरेक्टर ,
ख़त्म हो जाएगी जिंदगी ,
पर ना कभी ख़त्म होगा इनका चैप्टर।
तभी तो !
पीडी दर पीडी चलता रहता है इसका
सिलसिला।
'' सास भी कभी बहु थी ''कसौटी जिंदगी की ,या
कहानी घर घर की , कसम से , या कुसुम ,
और अब पवित्र रिश्ता , .
यह सब हैं एकता के जलवे ,
उसका छाया है इस बुद्धू बक्से पर
साम्राज्य।
'क' छोड़ दिया तो क्या !
स्थापित तो हो चूका है ना
दर्शकों के दिलों में राज्य।
सारे चेनल्स पर है ''बाला जी ''
का डंका बजता।
हे भगवान् !
लो जी ! भगवान् का नाम लिया तो
मंदिर में नहीं ,
चेनल्स के भगवान् ध्यान में आ गये.
कभी देवो-के देव महादेव ,कभी श्री कृष्ण ,
तो कभी भक्ति चेनल्स के गुरु देव याद आ गये. .
रंग -रंगीले गुरु देव !
रामायण और महाभारत अब
बच्चा- बच्चा जानता है,
धर्म-ग्रंथों ने नहीं ,
इस बुद्धू बक्से ने ही रटाया है.
देश के इतिहास के बारे में ,
हमारे संविधान के बारे में ,
नहीं जानते हमारे नोनिहाल,
मगर किस नेता ने कितने किये घोटाले ,
वोह सा---भी जानते है.
यह सब किसी मेहरबानी से ?
इस मीडिया की वजह से ,
बनाम !
इस बुद्धू बक्से की कृपा से।
कुछ भी कहो ,यारों !
है तो यह कमाल की चीज़।
ज़रा सा हो जाये आँखों से ओझल ,
तो करते हैं बड़ा मिस।
भोजन की बात छोड़ो !
हमारी तो चाय भी इसके बिना हजम नहीं होती।
नहीं जुड़ते कभी जब इसके उपग्रह से तार ,
तो जिंदगी की कोई शय अच्छी नहीं लगती।
लाख कोशिश कर ले ,
मगर इससे दामन छुड़ा नहीं सकते।
क्योंकि बिना इसके हम ,
एक पल भी जी नहीं सकते।
है यह ऐसी बला ,
चाहे जितना हम इए कोसते हैं।
मगर फिर भी दोस्तों !
हम इसी पर मरते है।
जय हो बुद्धू बक्से की !
कहानी घर घर की , कसम से , या कुसुम ,
और अब पवित्र रिश्ता , .
यह सब हैं एकता के जलवे ,
उसका छाया है इस बुद्धू बक्से पर
साम्राज्य।
'क' छोड़ दिया तो क्या !
स्थापित तो हो चूका है ना
दर्शकों के दिलों में राज्य।
सारे चेनल्स पर है ''बाला जी ''
का डंका बजता।
हे भगवान् !
लो जी ! भगवान् का नाम लिया तो
मंदिर में नहीं ,
चेनल्स के भगवान् ध्यान में आ गये.
कभी देवो-के देव महादेव ,कभी श्री कृष्ण ,
तो कभी भक्ति चेनल्स के गुरु देव याद आ गये. .
रंग -रंगीले गुरु देव !
रामायण और महाभारत अब
बच्चा- बच्चा जानता है,
धर्म-ग्रंथों ने नहीं ,
इस बुद्धू बक्से ने ही रटाया है.
देश के इतिहास के बारे में ,
हमारे संविधान के बारे में ,
नहीं जानते हमारे नोनिहाल,
मगर किस नेता ने कितने किये घोटाले ,
वोह सा---भी जानते है.
यह सब किसी मेहरबानी से ?
इस मीडिया की वजह से ,
बनाम !
इस बुद्धू बक्से की कृपा से।
कुछ भी कहो ,यारों !
है तो यह कमाल की चीज़।
ज़रा सा हो जाये आँखों से ओझल ,
तो करते हैं बड़ा मिस।
भोजन की बात छोड़ो !
हमारी तो चाय भी इसके बिना हजम नहीं होती।
नहीं जुड़ते कभी जब इसके उपग्रह से तार ,
तो जिंदगी की कोई शय अच्छी नहीं लगती।
लाख कोशिश कर ले ,
मगर इससे दामन छुड़ा नहीं सकते।
क्योंकि बिना इसके हम ,
एक पल भी जी नहीं सकते।
है यह ऐसी बला ,
चाहे जितना हम इए कोसते हैं।
मगर फिर भी दोस्तों !
हम इसी पर मरते है।
जय हो बुद्धू बक्से की !
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